Demo electrician hindi e-book for electrician interview

To be an Engineer & electrician


HIndi edition e-book with video playlist


Author

Rajeev saini

(Electrical engineer / youtuber / blogger)

                     

© Author (all Rights reserved)


Publisher

Rajeev saini

(Self published )


Publishing agency

(Rajeev saini electricals)


Pant nagar , 

udham singh nagar , uttrakhand , 

india pincode - 263145


Contact no - 8449807985

Email id -

rajeevsaini000052@gmail.com

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नोट - [  हेलो दोस्तों इस बुक में दिए गए इंटरव्यू question answer को बहुत गंभीरता से पढ़ें ]


अभी तक 30,000 e-books बिकने के लिए आप सभी का धन्यवाद 🙏🙏


इस e-book के साथ आपको interview question answer की video playlist और resume का formate और साथ आपको whatsapp group में भी join कर दिया जायेगा।


Interview question answer का syllabus नीचे दिया गया है ।

विषय सूची

Syllabus


1- प्रस्तावना ?

2- electrical engineer / electrician कैसे बने ?

3- apprentice क्या होती है ?

4- ITI करने के बाद क्या करें ?

5- polytechnic करने के बाद क्या करें ?

6- BE / B.TECH करने के बाद क्या करें ?

7- apprentice कहाँ से करें ?

8- apprentice कैसे करें ?

9- apprentice के दौरान salary ?

10- apprentice करते समय क्या क्या ध्यान रखें ?

11- fresher  electrician / electrical engineer के लये common interview qus - ans ?

12 - apprentice कर चुके electrician / electrical engineer के लये interview  qus - ans ?

13 - fresher student resume कैसे बनायें ?

14 - apprentice कर चुके student resume कैसे बनायें ?

15 - job कैसे search करें ?

16-  Electrical Engineering में Career Scope क्या है ?

17 - Electrical Engineering में जॉब के क्षेत्र ?

18 - Electrical Engineering जॉब के लिए best company ?

19 - सारांश ?


Syllabus

1- What is Mcb, types and protection ?
2- MCB faults and troubleshooting ?
3- MCB selection ?
4- What is Mccb , types and protection ?
5- What is Relay , types and connection ?
6- What is Transformer and working ?
7- What is LT panel and it's working ?
8- What is deasal Generator (DG) ?
9- What is PLC and it's working ?
10- What is Contactor , types , working and fault troublshooting ?
11- 3 phase induction motor ?
12- single phase induction motor ?
13- Motor faults , testing method and troubleshooting ?
14- What is Star connection for motor ?
15- What is Delta connection for motor ?
16- What is Dol starter, power and control wiring ?
17- What is Star delta starter power and control wiring ?
18- What is Forward reverse starter power and control wiring ?
19- Power fector lagging and leading and how to calculate Power fector ?

20-Motor maintenance and Commen motor faults

21- Hp to kw and kw to hp conversion

22-Dol starter fault troubleshooting and resolve fault

23- Star delta starter fault troubleshooting and resolve fault

24- Types of single phase motors

25- Why single phase motor not self start

26- Transformer detailed information




इस book में अभी और भी ज्यादा questions add करे  जायँगे और update करी गई book आपको whatsapp के माध्यम से send दी जायेगी।

1- प्रस्तावना


दोस्तों क्या आप electrician या electrical engineer बनना चाहते हैं ? क्या आप electrical engineer Field में जॉब करना चाहते हैं ? अगर आपका भी सपना electrical engineer या electrician बनने का है तो इस e- book में मैं आपको बताऊंगा कि electrical engineer या electrician किस तरह से बना जा सकता है । 


चाहे आपने ITI , polytechnic , BE या b.tech करा हो आपने कोई भी course  करा हो इस पोस्ट में आज आपको step by step सारी जानकारी मिल जाएगी कि किस तरह से आप electrical engineer या electrician बन सकते हैं ।


और साथ ही आपसे निवेदन है कि आप इस e - book को 1 बार पूरा जरूर पढे । इस बुक को पढ़ने में सिर्फ़ 30 से 40 min ही लगेगा लेकिन आपको सीखने बहुत कुछ मिलेगा और आप कम से कम समय मे ही job ले सकते हैं । इस book को पढ़कर अभी तक काफी students अच्छी job पर पहुँच चुके हैं अब आपकी बारी ।


2-  electrical engineer / electrician कैसे बने ?


अगर आप electrical engineering में अपना Carrier बनाने की सोच रहे हैं तो electrical engineer / electrician आपके लिए एक बेहतरीन option हो सकता है electrical engineering का क्षेत्र बहुत बड़ा क्षेत्र है ।


घरेलू उपयोग से लेकर औद्योगिक क्षेत्र में electrical engineer या electrician की काफी मांग रहती है अगर आपने iti / polytechnic / BE / b.tech कर रखा है तो आप को private या  government क्षेत्र में आसानी से electrician या फिर electrical engineer की जॉब मिल जाएगी 


इसके लिए शुरुआत में आपको experience लेने की आवश्यकता होती है अगर आपने किसी company से apprentice कर रखी है तो आप आसानी से किसी company में electrical engineer या electrician की post पर जा सकते हैं 


3- apprentice क्या होती है ?


Apprentice एक training program है जिसमें की छात्रों को government sector या private company में काम करने का प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे industry में होने वाला काम सही से समझ मे आ जाता है और प्रशिक्षण लेने के बाद छात्रों को certificate दिया जाता है ।


apprentice का यह certificate दिखा कर छात्र किसी भी company में आसानी से job प्राप्त कर सकता है apprentice 1 से 4 साल तक की हो सकती है यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वह कितने साल की apprentice करा रही है जिसमें कि 4 से 16 हजार रुपए expenses (खर्चा) सैलरी के रूप में दिया जाता है ।


4- ITI करने के बाद क्या करें ? 


ITI वालो के लिए Apprentice करना काफी अच्छा रहता है जिसे करने के बाद आपको उसी कंपनी में electrician या फिर electrical engineer की पोस्ट पर रख लिया जाता है बस शर्त एक होती है कि आप उस कंपनी में अपना best performance दें और कम समय मे ज्यादा से ज्यादा जानकारी ले ताकि company  आपको अपने पास रखने पर मजबूर हो जाए


Note- अगर company के अंदर मन चाहे department में job ना मिले तो company के HR से department , electrical maintenance या electrician में change करने के लिए बात करें ।


5- polytechnic करने के बाद क्या करें ?


Polytechnic वालों को apprentice पूरे ध्यान से करनी चाहिए । अगर कोई diploma वाला student apprentice सही से करता है तो उसे engineer या फिर jee की post पर उसी company में रख लिया जाता है


बस शर्त एक होती है कि आपको उस कंपनी में अपना best performance दें और कम से कम time में मशीनों में आने वाले faults को troubleshoot करके उसे सही करें। ताकि कंपनी आपको अपने पास रख ले । और साथ ही मशीनों में आने वाले faults के notes जरूर बनाए यह बहुत जरूरी होता है क्योंकि समय के साथ हमारी mind से machines की यह जानकारी धुंधली हो जाती है ।


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Demo of some interview questions


1- What is Relay, parts, working, types and  circuit diagram ?


1- Relay क्या है? 


Relay एक electrical switch है। , relay के द्वारा किसी सर्किट को ऑटोमेटिक रुप से कंट्रोल किया जाता है रिले का प्रयोग आजकल automation industry में बहुत ही ज्यादा हो रहा है अगर किसी भी machine में किसी भी device को ऑटोमेटिक चलाना है 


तो हमें रिले की आवश्यकता होती है हमारे inverter car,bike  इत्यादि चीजों में इसका  प्रयोग होता है यह विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं 


रिले का आविष्कार किसने किया?


 जोसेफ हेनरी अमेरिकन वैज्ञानिक जोसेफ हेनरी को अक्सर 1835 में विकसित इलेक्ट्रिकल टेलीग्राफ के अपने Version को बेहतर बनाने के लिए 1835 में रिले का आविष्कार करने का Claim किया जाता है।


 रिले की परिभाषा  


relay सिर्फ एक Electromagnetic Switch होता है।और इसमे एक Side Coil होती है। जब इसके अंदर Current फ्लो होता है तो यह Temporary Magnet की तरह काम करता है।

Relay ac,dc दोनों तरह की होती हैं।


Relay किस सिद्धांत पर कार्य करती है


Relay एक सिंपल सिद्धांत पर कार्य करती है  जब किसी close circuit में इलेक्ट्रिसिटी flow कराई जाती है तो उसके चारों ओर magnetic field बन जाता है जो किसी भी लोहे की चीज को अपनी ओर खींचता है 


ठीक इसी सिद्धांत का प्रयोग करके रिले  का प्रयोग करा जाता है जब relay की coil को सप्लाई दी जाती है तो वह उसके अंदर की पत्ती (armeter) को nc से हटाकर no पर चिपका देती है बाकी की working process हम आगे discussion करेंगे



Relay में क्या क्या parts होते है (relay parts)



Relay के अंदर अलग-अलग प्रकार के component होते हैं लेकिन बहुत से लोगों को पता नहीं होता कि उसके अंदर कौन-कौन से component होते हैं और उन component का क्या कार्य होता है तो आप इस पोस्ट में यह जानेंगे कि उसके अंदर कौन-कौन सी component है तथा उनका क्या कार्य है ?


1-coil-  यह relay के अंदर स्थित Armature को NO Contact से जोड़ती है।


2-yoke-  योक relay के बाहर का हिस्सा होता है जोकि रिले के अंदर के पार्ट्स को डैमेज होने से बचाता है


3-Spring-  relay को  जब कोई सप्लाई नहीं दी जाती है तो यह आर्मेचर को nc कांटेक्ट से जोड़े रहता है।


4-Armature- relay के अंदर आर्मेचर का काम commen टर्मिनल को no कांटेक्ट तथा nc कांटेक्ट से जोड़ने का होता है।


5-contact-  यह  रिले के इनपुट तथा output टर्मिनल हैं हमें जिन डिवाइस की स्विचिंग करनी होती है उनको terminal पर जोड़ा जाता है स्विचिंग का अर्थ है कि एक समय में एक उपकरण को चलाना तथा दूसरे को बंद करना


Relay कैसे काम करती है ? 



Relay की वर्किंग बहुत ही सिंपल है जब relay ऑफ कंडीशन में होती है तो उसका कॉमन टर्मिनल nc कांटेक्ट से लगा होता है क्योंकि उसके अंदर की स्प्रिंग उसे अपनी और खींच कर रखती है तथा no कांटेक्ट ओपन होता है  जैसे ही हम रिले के coil पर सप्लाई देते हैं 


तो उसके अंदर स्थित armater no terminal पर चिपक जाता है बस यही एक छोटी सी इसकी वर्किंग है ।





Relay के प्रकार


वर्तमान में relay के कई सारे प्रकार उपलब्ध है relay का प्रयोग हर जगह पर अलग अलग होता है इसका प्रकार इसके द्वारा ऑपरेट किए जा रहे करण पर निर्भर करता है जहां पर हमें जिस प्रकार के relay की जरूरत होती है हम उसी स्थान पर उसी प्रकार की रिले लगाते हैं 


कार्य सिद्धान्त के आधार पर


कार्य सिद्धांत के आधार पर relay को दो भागों में बांटा गया है सेमीकंडक्टर  आधारित रिले तथा विद्युत चुंबकीय रिले जिसमें की विद्युत चुंबकीय relay का प्रयोग बहुत ही ज्यादा होता है 


इसका प्रयोग आपको कार मोटरसाइकिल इनवर्टर स्टेबलाइजर आदि में देखने को मिलेगा और अर्धचालक रिले आकर में छोटी होती हैं इस प्रकार की रिले का इस्तेमाल छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में होता है


Poles की संख्या के अनुसार


ज्यादातर आपने देखा होगा कि relay में एक commen terminal, 1 nc terminal तथा 1no टर्मिनल होता है लेकिन कभी-कभी एक से ज्यादा इनपुट terminal तथा 1 से ज्यादा output  टर्मिनल की आवश्यकता होती है 


क्योंकि हमें ज्यादा उपकरणों की switching करानी होती है उस समय हमें दो या दो से ज्यादा इनपुट output टर्मिनल वाली relay की आवश्यकता होती है इस प्रकार की रिले  के बारे में हमने नीचे लिख रखा है


Single Pole Single Throw


Single Pole Double Throw


Double Pole Single Throw


Double Pole Double Throw


मान लीजिए कि आपके पास 2 तालाब हैं  जिसमें कि आप चाहते हैं कि  आपका वाटर पंप एक तालाब भरने के बाद दूसरे तालाब को automatic भरने लगे इसके लिए आपको  रिले की आवश्यकता होगी


Example


Single Pole Double Throw 


Single Pole Double Throw  relay में मैं आपको एक no terminal  तथा 1 nc terminal मिलेगा आप पहले वाटर पंप को nc टर्मिनल से जोड़ देंगे जैसे ही आपका  पहला तालाब भर जाता है  


आपका relay एक्टिवेट हो जाता है  और nc, no टर्मिनल बन जाता है  अब आपका दूसरा  वाटर पंप स्टार्ट हो जाता है  और पहला वाटर पंप बंद हो जाता है 


Coil Voltage के आधार पर


साइज और वोल्टेज के आधार पर मार्केट में अलग-अलग प्रकार की relay देखने को मिलती हैं  जैसे कि


For dc


5 V डीसी,


12 V डीसी,


 24 V डीसी


For ac


110V एसी


 220 V एसी


रिले के आकार और बनावट के आधार पर कई प्रकार की रिले उपलब्ध है जैसे कि


Latching Relay


Vacuum Relays


Time Delay Relay


Mercury-Wetted Relay


Mercury Relay


Overload Protection Relay


Force-Guided Contacts Relay


Multi-Voltage Relays


Safety Relays


Coaxial Relay


Solid-State Contactor


Reed Relay


Polarized Relay


Machine Tool Relay


Solid-State Relay


Static Relay


Contactor


Relay circuit diagram 



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What is contactor , working and types 


 2- Contactor क्या होता है? 


Electric Contactor एक इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल डिवाइस है जिसमें कि mechanical और electrical system होता है इसके अंदर एक electrical coil होती है जो mechanical system को अपनी ओर खींच कर  एक तरफ के कांटेक्ट को दूसरी तरफ के कांटेक्ट से मिलाकर switch का काम करती है





हम यह भी कह सकते हैं कि electrical contactor एक सोच है जोकि इंडस्ट्री में तीन फेस के कनेक्शन के लिए use करा जाता है  Electrical contactor विद्युत चुंबकीय प्रभाव पर कार्य करता है तथा इसे industry में high power consumption devices/machine के लिए use किया जाता है।  


Working of electrical contactor hindi


जैसा कि मैंने आपको ऊपर ही बता दिया है कि Electrical contactor एक इलेक्ट्रोमैकेनिकल डिवाइस है इसके द्वारा हम 3 या 4 phase  को आपस में जोड़ सकते हैं या सर्किट को जोड़ सकते हैं Electrical contactor में एक planzer का use होता है जिनके बीच में electrical coil लगी होती है





जब electrical coil को सप्लाई देते हैं तो वह planzer को अपनी ओर खींचती है तथा एक तरफ की सप्लाई को दूसरी तरफ की सप्लाई से जोड़ देती है इस प्रकार यह स्विच का कार्य करता है तथा इसे हम automatic रूप से control कर सकते हैं आजकल industry में इसका उपयोग बहुत ही ज्यादा होता है.


अगर आप industry में काम करते हैं और आप Electrical contactor का यूज कर रहे हैं तो आपको देख लेना चाहिए कि वह कितने का है क्योंकि electrical coil,Ac तथा Dc दोनों प्रकार के होते हैं तथा इसमें A1,A2 point दिए गए होते हैं जो कि coil के होते हैं इसके द्वारा हम coil को सप्लाई देते हैं.


 electrical contactor की बनावट


एक contactor के तीन घटक होते हैं। power contacts, auxiliary contacts (for controlling and interlocking) और contact springs शामिल हैं।  इलेक्ट्रोमैग्नेट या "कॉइल contactor को बंद करने के लिए force प्रदान करता है।

  यह पूर्ण रूप से एक फ्रेम हाउसिंग contactor और electromagnet है।


 यह electric shock से कुछ उपाय प्रदान करने के लिए बाक्लाइट, नायलॉन 6, और थर्मोसेटिंग प्लास्टिक जैसे इन्सुलेट सामग्री से बने होते हैं।  


 Contactor का वर्गीकरण या प्रकार


इन्हें तीन कारकों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है

 1-load being 

2-current capacity 

3-power rating.


Contactor  टर्मिनल क्या होता हैं?


 Contactor के दो प्रकार के टर्मिनल होते हैं।


 POWER टर्मिनल


 CONTROL टर्मिनल


इसके अलावा, Contactor में एक कॉइल टर्मिनल भी होता है।


contactor coil terminal - यह एक बहुत ही Important point है।  इसकी मदद से, हम contactor को बंद कर देते हैं।


 सभी प्रकार के CONNECTORS में A1 और A2 टर्मिनल होते हैं, इनका उपयोग टर्मिनल कॉन्टैक्टर को Initialize या शुरू करने के लिए किया जाता है।


 यह सभी CONNECTORS पर लिखा होता है कि  कॉन्टैक्टर का कॉइल वोल्टेज क्या है।


 उदाहरण के लिए, यदि यह एक contactor पर लिखा है (A1 A2- 240AC)


 इसका अर्थ है, हमें अपने A1 A2 POINT पर 240 वोल्ट की supply देनी चाहिए।  और A1   A2 पर 240 वोल्ट की supply करते ही हमारा contactor शुरू हो जाएगा।


POWER और कंट्रोल टर्मिनल क्या है ?


जैसा कि मैंने आपको बताया हम एक स्विच के रूप में contractor का उपयोग करते हैं।  लेकिन अगर हमें कभी मोटर चलाना है, तो हमें अधिक करंट-POWER  की आवश्यकता होगी।


क्योंकि अगर हम कमजोर point पर अधिक धारा जोड़ते हैं तो वह POINT पिघल जाता है।


यह टर्मिनल को दो भागो में विभाजित करने का कारण बनता है।


 POWER टर्मिनल और कंट्रोल टर्मिनल 


 POWER टर्मिनल - हम इसमें अधिक करंट passing वायर जोड़ते हैं।


जिस तार में 2-3 से अधिक एम्पियर करंट पास होते हैं, हम उस तार को POWER टर्मिनल से स्विच करते हैं, अर्थात हम इसे बंद कर देते हैं।


जैसे कि मोटर supply के तार।


Control टर्मिनल - इसमें हम कम करंट वाले तार को स्विच करते हैं।


उदाहरण के लिए, अगर हम चाह रहे हैं कि हमारी मोटर शुरू हो, तो हमारी एक signal 

 (indicator)  on हो जाती है।  जिसकी मदद से हम जानते हैं कि मोटर शुरू हो गई है।  इसलिए इस स्थान पर हम CONTROL terminal का उपयोग करते हैं।  क्योंकि signal indicator ज्यादा करंट नहीं लेता है।


No,Nc क्या होता है ?


यदि आप इलेक्ट्रिकल पढ़ रहे हैं या नौकरी कर रहे हैं, तो NO, NC को समझना important है।  वैसे दोस्तों NO ,NC काफी आसान है।


जैसे दो POINT  हैं यदि वे जुड़े नहीं हैं, तो इसका मतलब है कि वे खुले POINT हैं।  और अगर वे जुड़े हुए हैं, तो इसका मतलब है कि दोनों एक-दूसरे के करीब हैं।



NO contact क्या है ?


 NO- no का फुल फॉर्म normally open होता  है जब दो POINT सामान्य स्थिति में एक दूसरे से बहुत दूर होंगे।  मतलब अगर हम NO के एक POINT पर बिजली की supply करते हैं, तो हम इसे दूसरे POINT पर नहीं प्राप्त करेंगे।


NC contact क्या होते है ?


 NC - nc का full form normally close होता है। जब हमारा contact सामान्य स्थिति में होगा तो हमारे दोनों contact आपस में जुड़ जाएंगे।


उदाहरण के लिए, यदि हम NC के एक POINT पर बिजली की supply करते हैं, तो यह हमारे लिए दूसरे POINT पर उपलब्ध होगी।  


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What is MCB , working , types, MCB selection ? 


3 - MCB क्या होती है, 


MCB जिसका full form miniature circuit breaker है। mcb short circuit और over load से सुरक्षा के लिए use की जाती है तथा यह एक sefty device और यह घर,industry मे over leakage,high voltage से sefty के लिए लगाई जाती है।



MCB का प्रयोग क्या है? ओर क्यो होता है


पहले mcb की जगह fuse होता था। जो कि हाई वोल्टेज आने पर पिघल/melt हो जाता है तथा उसे दोबारा से लगाना पड़ता है जिस में हमें काफी समय लगता है दूसरी ओर mcb को लगाना बहुत ही आसान होता है। 


MCB का पूर्ण रूप मिनिएचर सर्किट ब्रेकर (Miniature Circuit Breakers) है और MCCB का पूर्ण रूप मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर (Moulded Case Circuit Breaker) है।  ये दोनों ही थर्मोमेग्नेटिक डिवाइस हैं।  MCB 100A तक है जबकि MCCB 2500A तक है।

Mcb में 2 प्रकार की protection होती है।


2- mcb की working


Mcb की working उसकी protection के हिसाब से 2 प्रकार से समझ सकते हैं।





जी हां mcb हमे 2 प्रकार के fault से protection देती है। ओर अब इस आधार पर वर्किग समझते हैं।


Overload Fault (ओवरलोड फॉल्ट)

Short Circuit Fault (शार्टसर्किट फॉल्ट )


Overload Fault (ओवरलोड फॉल्ट)


किसी चालू विधुत परिपथ में लगी एमसीबी में जब करंट की मात्रा बढ़ती है तो एमसीबी के अंदर लगी हुई Bimetallic strip बैंड हो जाती है और लटकाए हुए लीवर को छोड़ देती है 


जिस कारण एमसीबी ट्रिप हो जाती है और आगे सप्लाई देना बंद कर देती है इस प्रकार mcb हमारे सर्किट को जलने से बचाती है तथा इसके साथ जो भी चीज लगी होती है वह सुरक्षित रहती है।


Short Circuit Fault (शार्टसर्किट फॉल्ट )


जब किसी भी उपकरण में फॉल्ट आता है या उस उपकरण के अंदर किसी भी प्रकार का शॉर्ट सर्किट होता है तो एमसीबी ट्रिप हो जाती है इसका कारण यह है कि mcb के अंदर एक magnetic coil लगी होती है जैसे ही किसी भी उपकरण में शॉर्ट सर्किट होता है तो mcb के अंदर लगी हुई  magnetic coil बहुत ही ज्यादा मात्रा में मैग्नेट बनाती है


 और इस coil के साथ lever लगा होता है जैसे ही मैग्नेटिक फील्ड ज्यादा होता है वह लीवर को trip कर देती है तथा हमारी एमसीबी ट्रिप होकर आगे सप्लाई देना बंद कर देती है और हमारे उपकरण जलने से बच जाते हैं यह कार्य कुछ मिली सेकंड में ही हो जाता है इसलिए एमसीबी शॉर्ट सर्किट के लिए बहुत ही अच्छी उपकरण है


3- एमसीबी (MCB) कितने प्रकार की होती है ?  - Types of MCB


यह single,double,triple ओर four pole तक आसानी से देखने को मिलती है। pole का मतलब यह input,output terminal से है। mcb जो है यह एक safety  accessories है। और भी बहुत सी safety accessories है जैसे rccb,elcb etc.





Types Of Miniature Circuit Breakers (men) In Hindi


हम सभी को अच्छी तरह से पता हैं कि MCB का उपयोग घरेलू और औद्योगिक स्तर पर किया जाता है, इसलिए इसे विभिन्न प्रकारों में बनाया जाता है, मुख्य रूप से 6 प्रकार के होते हैं।  (Type A,B,C,D,K,Z)


Types - A -  जब करंट rating से 2-3 गुना बढ़ जाता है । तो mcb trip हो जाती है।


Applications - semiconductor devices


Type - B -  जब करंट rating से 3-5 गुना बढ़ जाता है । तो mcb trip हो जाती है। ओर trip होने में 0.04 s से 13 s लगते हैं।


Applications - domestic applications


Type - C - जब करंट rating से 5-10 गुना बढ़ जाता है । तो mcb trip हो जाती है। ओर trip होने में 0.04 s से 5 s लगते हैं।


Applications - domestic applications and industrial applications (ac induction motors)


 Type - D - जब करंट rating से 10-20 गुना बढ़ जाता है । तो mcb trip हो जाती है। ओर trip होने में 0.04 s से 3 s लगते हैं।


Applications- जहाँ current continuously fluctuate (high/low) होता रहता है।


 Type - k - जब करंट rating से 8-12 गुना बढ़ जाता है । तो mcb trip हो जाती है। ओर trip होने में 1 mili sec  लगता हैं।


Applications- semiconductor devices (normally told a sensitive mcb)


 Typs - Z - यह 1 high sensitive mcb होती है। जब करंट rating से 2-3 गुना बढ़ जाता है । तो mcb trip हो जाती है। ओर trip होने में 0.01 s का time लगता है।


Applications- semiconductor devices


Type k and type z mcb don't use at home


4- MCB लगाने के फायदे या advantage


MCB एक स्वचालित रूप से बंद सर्किट है जो सर्किट में ओवरलोड और शॉर्ट सर्किट के कारण automatic रूप से बन्द हो जाता है।  और यह फ्यूज की तुलना में बहुत तेजी से काम करता है।


हम mcb के trip होने के बाद फिर से MCB चला सकते हैं, लेकिन अगर फ्यूज जलता है, तो इसे एक नए फ्यूज से बदलना होगा।


जिसमें बहुत समय लगता है और बार-बार पैसे खर्च होते हैं।


 फ्यूज की तुलना में MCB का उपयोग ज्यादा सुरक्षित है।


5- MCB और फ्यूज में क्या अंतर है ?


MCB और फ्यूज के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि ओवरलोड होने पर फ्यूज टूट जाता है और उसे बदलना पड़ता है।


जबकि यह MCB में नहीं होता है, इसे केवल ON करा जाता है फिर से बदलना नहीं पड़ता है।


इस time कई प्रकार के सर्किट ब्रेकर आते हैं, सभी सर्किट ब्रेकर अलग-अलग सुरक्षा देते हैं, जिसका अर्थ है कि सभी FAULT आने पर स्वयं ट्रिप हो जाते हैं और हमारे उपकरणों को सुरक्षा प्रदान करते हैं, क्योंकि विद्युत सर्किट में कई प्रकार के FAULT होते रहते हैं।


6- Mcb औऱ Mccb में अंतर


MCB


Mcb ka full form miniature circuit breaker


 आपने पहले ही mcb का full form देख लिया है, तो अब हम इसके और अन्य specifications के बारे में बात करते हैं


 1- Mcb की क्षमता 100 एम्पीयर तक होती है, यानी mcb 100 एम्पीयर से अधिक नहीं होती है।

 2- Mcb triping point को समायोजित नहीं कर सकते हैं।

 3-100 एम्पीयर से कम भार के लिए mcb को सबसे अच्छा सर्किट ब्रेकर माना जाता है

 4- mcb में thermal ओर magnetic protection के options पर काम करता है।


MCCB


MCCB ka full form Moulded Case Circuit Breaker 


 1-MCCB एक हजार (2500) एम्पीयर तक आता है

2- MCCB tripping point को high/low कर सकते हैं ।


7 - mcb me bimetallic strip ka kya kam hota hai


जब परिपथ में लगी mcb में current की मात्रा बढ़ जाती है, तो Bimetallic strip का तापमान बढ़ जाता है और strip Bend  हो जाती है, ऒर लिवर उसे छोड़ देता है जिस कारण MCB से आगे जाती supply रुक जाती है, और MCB उपकरणों को बंद कर देता है। और इसे ओवरलोड से बचाता है।  इसे MCB अधिभार संरक्षण (overload protection) कहा जाता है।


एक MCB TRIP कैसे करता है?


सर्किट ब्रेकर TRIP तब करता है जब बहुत अधिक बिजली इसके माध्यम से बहती है या जब यह excess current load को handle नहीं कर सकती है। इसका मतलब यह है कि बिजली के flow को आपके सर्किट को overheating करने या अधिक damage करने के लये बचाया जाता है।


India  में  best MCB ब्रांडों की सूची। - List Of Top Best MCB Brands in India


लेग्रैंड एक फ्रांसीसी  based कंपनी है जो globally स्तर पर बाजार में है।


Anchor Electricals Pvt. Ltd.


Siemens MCB. ...


RMG MCB. ...


Generic MCB.


MLD MCB. ...


Life Guard MCB. .


कौन सा MCB घर के लिए सबसे अच्छा है?


( Type B, C ) MCB रेटिंग को घर से जुड़े कुल load के अनुसार चुना जाना है। example के लिए यदि आपके घर में 5 किलोवाट का कुल भार है, तो maximum प्रवाह लगभग 22.5 amperes होगा, इसलिए एक 240 वोल्ट्स की  supply के लिए 4 pole 32 amperes  MCB बेहतर होगा। 


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Q. No- 04 DOL स्टार्टर में किस प्रकार के Faults आते हैं तथा उन Faults को कैसे रिपेयर करते हैं?

DOL starter में आने वाली Faults की सूची

Faults

Causes

Action Taken

पैनल से हमिंग की आवाज आ रही है।

कांट्रेक्टर का आर्मेचर साफ नहीं है।

Coil पर Rating Voltage से कम Voltage जा रही है।

आर्मेचर पर लगी  Shaded Coil Ring Loose हो गई है।

कांट्रेक्टर का आर्मेचर साफ करें।

Coil की Voltage को चेक करें।

आर्मेचर पर लगी रिंग को चेक करें।

Coil गर्म होकर जल गई।

Coil पर  Rated voltage से अधिक सप्लाई आ गई।

कंट्रोल सप्लाई को चेक करें तथा सप्लाई के बराबर की Coil लगाएं।

OLR को रिसेट करने के बाद मोटर तुरंत स्टार्ट नहीं हो रही है।

OLR में Thermal Bimetal की पत्तियां होती हैं जिन्हें ठंडा होने में समय लगता है।

मोटर को दोबारा शुरू करने के लिए 2 से 4 मिनट का Wait करें।

बटन दबाने पर मोटर स्टार्ट नहीं हो रही है लेकिन कांट्रेक्टर को मैनुअल दबाने से मोटर चल रही है।

मोटर का सर्किट ट्रिप है।

कांट्रेक्टर की क्वायल ओपन हो गई है।


ओवरलोड रिले तथा कांट्रेक्टर की क्वायल का प्रतिरोध चेक करें।

बटन दबाने से मोटर स्टार्ट नहीं हो रही है लेकिन पैनल से Humming की आवाज आ रही है।

कंट्रोल वोल्टेज कम है। अथवा आर्मेचर  साफ नही है अथवा आर्मेचर ढीला है।

कंट्रोल वोल्टेज चेक करें तथा आर्मेचर साफ करे,आर्मेचर तथा coil को सही से कसे

बटन दबाने पर मोटर चलती है तथा बटन छोड़ने पर मोटर बंद हो जाती है।

कांट्रेक्टर के साथ लगा Auxiliary No Element कांट्रेक्टर के साथ NC नहीं बन रहा है।

Axuilary element को चेक करें

कांट्रेक्टर के ऑन होने के बाद भी मोटर नहीं चल रही

कांट्रेक्टर के कोंटेक्ट के स्प्रिंग टूट गई है या रिले की क्वायल ओपन हो गई है।

कांटेक्टर तथा relay के टर्मिनल को मैनुअल चेक करें।

ऑफ बटन दबाने पर मोटर बंद नहीं हो रही है।

Auxiliary Element Short Or Armature Stuck

मेन सप्लाई बंद करके दोनों को चेक करें।



Q 05 - Star - delta starter की control ओर power वायरिंग की detailed video आपको जल्द ही मिल जायेगी।

List Of Star-Delta Starter Faults

Faults

Cause

Action Taken

स्टार्ट बटन दबाने पर मोटर Run नहीं हो रही है

स्टार्ट बटन में लगा NO Element ठीक से दब नहीं रहा है।

टाइमर का NC Point खराब हो गया है।

डेल्टा कांट्रेक्टर अथवा रिले का NC Point खराब हो गया है।

स्टार्ट बटन का NO Element, टाइमर का NC Point, डेल्टा कांट्रेक्टर का NC Point तथा OLR का NC Poin चेक करें

स्टार्ट बटन दबाने पर केवल Star Contracter ही होल्ड रहता है।

स्टार कांट्रेक्टर के साथ लगा और Auxiliary NO point कांट्रेक्टर के होल्ड होने पर NC नहीं बन रहा है।

स्टार Contractor के साथ लगे Auxiliary NO Point को मैनुअली दबाकर स्थिति चेक करें?

मोटर 7 सेकंड के बाद डेल्टा में नहीं लग रही

टाइमर अपनी स्थिति नहीं बदल रहा है।

स्टार Contractor के साथ लगा Auxiliary NC point खराब हो गया

टाइमर तथा Star Contractor के साथ लगे Auxiliary NC Point को चेक करें

मोटर डेल्टा में लगते ही Trip हो जा रही है।

मोटर से जुड़ा यंत्र जाम चल रहा है।

मोटर से जुड़े यंत्र को ठीक से चेक करें।

मोटर डेल्टा में बहुत हाई करंट ले रही है।

मोटर की वाइंडिंग के छह सिरो का क्रम ठीक से कनेक्ट नहीं है।

बाइंडिंग के सभी सिरों को अच्छे से चेक करके क्रम बद्ध तरीके से पैनल से जोड़े


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Thanks 

Jai hind………

(Rajeev saini)





Comments

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